The Global Bulletin of India - GBI
उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में बीते दिनों पूरे उत्तर प्रदेश को उपद्रव की आग में झोंकने वालों और दंगा-आगजनी की साजिश को पर्दे के पीछे से अंजाम देने वाली देश विरोधी ताकतों के खिलाफ प्रदेश के कप्तान योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा खोल दिया है। उत्तर प्रदेश में दंगाइयों द्वारा सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति वसूली के लिए नियमावली को मंजूरी दे दी है। कोरोना वायरस(Covid-19) के काल में यहां एक तरफ सीएम योगी स्वास्थकर्मी और अन्य कोरोना योद्धाओं के साथ सलीके से पेश आने की हिदायत देते नजर आ रहे हैं वहीं शांति भंग करने वालों के खिलाफ एक्शन मोड में भी नजर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश में अब प्रदर्शन और बंद के दौरान उपद्रव कर सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित होगा।
उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार ने क्षति वसूली अध्यादेश के तहत ऐसी व्यवस्था कर दी है कि सरकारी-निजी संपत्ति को नुकसान वाले की मुकदमे के दौरान अगर मौत भी हो जाती है तो वसूली उसके घर वालों से की जाएगी। नियमावली के मुताबिक कार्यवाही के दौरान किसी भी पक्षकार की अगर मौत हो जाती है तो वसूली का मुकदमा खत्म नहीं होगा। नियमावली में सरकारी व निजी संस्थानों के लिए कहा गया है कि उनके यहां होने वाली तोड़फोड़ या संपत्तियों के नुकसान की सीसीटीवी फुटेज या विडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उनकी होगी। सम्पत्ति के संबंध में हुई क्षतियों का अनुसंधान करने के लिए दावा अधिकरण का गठन करने और प्रतिकर तय करने के लिए नियम बनाए गए हैं।
इस नियमावली के नियम-9 में दावा अधिकरण का गठन, नियम 27 में दावा याचिका, नियम-33 में दावों की सुनवाई, नियम-43 में प्रतिकर की धनराशि विनिश्चित करने के नियम और अधिकरण द्वारा विनिश्चित की गई क्षतियों की धनराशि की वसूली का प्रावधान किया गया है।
बीते दिनों देखा गया था कि प्रदेश में उपद्रवियों की पहचान के बाद उनके पोस्टर लगाए गए थे। ये मामला काफी विवादों में रहा था और कोर्ट में भी चला गया था। जिसको लेकर बाद में सरकार ने कानून भी बना दिया था। योगी सरकार की नई नियमावली के तहत अब निजी संपत्तियों को क्षति पहुंचाने वालों के वसूली से जुड़े पोस्टर व फोटो लगाने का खर्च भी आरोपितों से ही वसूल किया जाएगा। फोटो व पोस्टर लगाने की कार्यवाही तब की जाएगी जब आरोपित वसूली की रकम देने से बच रहा हो और ट्रिब्यूनल का फैसला न मान रहा हो।